तुम्हारी आँखे!

तुम्हारी आँखे!

ये दिन ना होते ये राते ना होती

अगर इतनी खूबसूरत तुम्हारी आँखे ना होती

मैं यू ही भटकता एक टूटा सा दिल लिए

आँखों में दर्द का सुनहरा काजल लिए

ख्वाबों से हमारी मुलाकाते ना होती

अगर इतनी खूबसूरत तुम्हारी आँखे ना होती

कही डूब ना जाऊ, जरा पलके तो खोलो

या डूबाना है मुझको, आँखों में हल्के से बोलो

ना मैं होता, ये मेरी बाते ना होती

अगर इतनी खूबसूरत तुम्हारी आँखे ना होती

जब हंसी है ये आँखे, तो बहार आ गई है

जब दुखी है ये आँखे, गम की फुहार आ गई है

आँखे नही चश्म-ए-गज़ाल हो जैसे

जब दिखी है आँखे, दिल में करार आ गई है

ये उजाले ना होते, ये बरसाते ना होती

अगर इतनी खूबसूरत तुम्हारी आँखे ना होती

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 Deepak Vishwakarma

#NetaIsBack

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